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Oct 17
हिंदी प्रकाशन उधोग अपने सबसे सुनहरे खंड्काल से गुजर रहा है | पिछ्ले 2-3 वषो से हिंदी पुस्तकों से हिंदी पुस्तकों की बिक्री बढनी शुरु हो गई है | अपने पाटकों तक कैसे पहुंचा जाए, प्राय: हिंदी के प्रकाशक इसी सामस्या से परेशान रहते थे, परंतु सुचना प्रौधोगिकी की क्रॉति के फल्स्वरूप हिंदी पाठक अपने मनपसंद प्रकाशको की सभी पुस्तकों को इंटरनेट पर देख पाते हैं और अपनी मनचाही पुस्तक का घर बैठे ऑनलाइन आदेश दे कर घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं|
पूर्व में हिंदी केवल साहित्यिक पुस्तकों का प्रकाशन हि अधिक हुआ करता था, पर हिंदी साहित्य की अन्य विधाओ, जैसे सामान्य ज्ञान, प्रतियोगी परीक्षाओ हेतु, सेल्फ हेल्प, बिजनेस संबंधी, जीवनियों आदि विषयो पर भी पुस्तके मूल रूप से हिंदी में लिखी जा रही है तथा प्रादेशिक तथा विदेशी भाषाओं का भी अनुवाद हो कर प्रकाशित हो रही है|
प्रभात प्रकाशन हर बर्ष हिंदी की 400 नई पुस्तकें प्रकाशित करता हैं | औ तकरीबन प्रभात प्रकाशन की 4000 पुस्तकें ऑनलाइन उपलव्ध हैं|
गत एक बर्ष से हिंदी की पुस्तके पाटको को E-book के रूप में भी पाठको को उपलब्ध हो रही हैं | कोई भी पाठक अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर बैठकर इन्हें कही भी आसानी से पढ सकता हैं | विश्व के सभी देशो की अपनी एक भासा ही ऐसी हैं, जो सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाधंती हैं | हिंदी पूर्ण रूप से बोज्ञानिक, व्याकरण-सम्मत और समर्थ भासा हैं | जहाँ तक हिंदी बोलने वालो का प्रश्न है तो आज हिंदी विश्व को नंबर एक भासा हैं | युवाओं में के प्रति आकषॅण वे हिंदी पढ भी रहे हैं| यह देखते हुए ये विश्वास होता हैं कि हिंदी का भविष्य उज्ज्वल और संभावनाओ से भरा हुआ हैं | हमारे सविधान में हिंदी को भारत की `संघ भासा` कहा गया हैं, उसे राजभासा का भी दर्जा दिया गया हैं | सरकार का ज्यादातर काम हिंदी के बजाय अंग्रेजी में हो रहा हैं | ऐसा अनुमान हैं की लगभग सतर प्रतिशत लोग हिंदी समझते और बोलते है | आज विश्व के 126 देशों के महाविधालयो और अध्ययन-अध्यापन हिंदी भासा की लोकप्रियता, वैज्ञानिकता एव सामरस्य चिंतन का प्रमाण हैं | नई-नई प्रोधोगिकी के आ जाने से हिंदी प्रकाशन में आज नित नए प्रयोग हो रहे हैं |
प्रभात प्रकाशन हर वर्ष हिंदी की 400 नई पुस्तके प्रकाशित करता है और तकरीबन प्रभात प्रकाशन की 4000 पुस्तके ऑनलाइन उपलव्ध हैं | प्रभात प्रकाशन की 700 से अधिक पुस्तके किंडम पर बेची जा रही हैं |
आशा हिंदी के पठन-पाठन में उतरोतर वुद्धि के साथ नवीनतम विषयों पुस्तकों के लेखन का मार्ग प्रशस्त होगा | नव प्रोधोगिक के उपयोगी से हिंदी के पाठकों को और भी अधिक संख्या में पुस्तके सुलभहो सकेगी |